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एक लेख और एक पत्र (भगत सिंह ) अभ्यास

 

पाठ-6

एक लेख और एक पत्र
                                                      भगत सिंह

पाठ का सारांश 

भगत सिंह महान क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी और विचार थे| भगत सिंह विद्यार्थी और राजनीति के माध्यम से बताते हैं कि विद्यार्थी को पढ़ने के साथ साथ ही राजनीतिक में भी दिलचस्पी लेनी चाहिए| यदि कोई इसे मना कर रहा है तो समझाना चाहिए कि yahयह राजनीति के पीछे घोर षड्यंत्र है| क्योंकि विद्यार्थी युवा होते हैं| उन्हीं के हाथ में देश की बागडोर हैं| भगत सिंह व्यावहारिक राजनीति का उदाहरण देते हुए नौजवानों को समझाते हैं कि महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और सुभाष चंद्र बोस का स्वागत करना और भाषण सुनना यह व्यावहारिक राजनीतिक नहीं तो क्या है| भगत सिंह मानते हैं कि हिंदुस्तान को इस समय ऐसे देश सेवक की जरूरत है जो देश पर अपनी जान न्योछावर कर दें और पागलों की तरह सारी उम्र देश की आजादी या उसके विकास में न्योछावर कर दे|  क्योंकि विद्यार्थी देश दुनिया की हर समस्या से परिचित होते हैं उनके पास अपना विवेक होता है| इस समस्याओं के समाधान में योगदान दे सकते है| अतः विद्यार्थियों को पॉलिटिक्स में भाग लेनी चाहिए|

 

Objective Questions

    1.      एक लेख और एक पत्र के लेखक कौन हैं?
a)
मोहन                                                           b)ओम प्रकाश
c)
भगत सिंह                                                   d)जयप्रकाश नारायण

    2.      भगत सिंह के अनुसार आत्महत्या क्या है?
a)
अच्छा                                                          b)खराब                      
c)
कायरता                                                       d) डरपोक

    3.      भगत सिंह सरकार के किस राय पर खफा थे?
a) छात्र को राजनीति से दूर रखने की राय पर        
b)छात्र को राजनीतिक के करीब रखने की राय पर  
c)छात्र को राजनितिक में कदम रखे देने के राय पर
d)इनमे से कोई नहीं 

    4.      भगत सिंह के आदर्श पुरुष कौन थे?
a)
करतार सिंह                                               b)महात्मा गांधी         
c)
इंदिरा गांधी                                                  d)गुरुनानक

    5.      एक पत्र किसको लिखा गया?
a)महात्मा गाँधी                        b)सुखदेव
c)राजगुरु                             d)चंद्रशेखर

    6.      सन 1926 में भगत सिंह ने किस दल का संगठन किया था?
a)
नौजवान भारत सभा                              b) ग़दर सभा            
c)
क्रन्तिकारी सभा                                            d)इनमे से कोई नहीं 

    7.      भगत सिंह का जन्म कब हुआ था?
a)
28 सितंबर 1907                      b)10 सितंबर 1910  
c)15 जून 1920                           d)17 फरवरी 1960

    8.      भगत सिंह के पिता और चच किसके सहयोगी थे?
a)चंद्रशेखर आजाद                     b)लाला लाजपत रॉय
c)सुखदेव                             d)अबुल कलम आजाद

    9.      1941 ई. में भगत सिंह किस पार्टी की ओर आकर्षित हुए?
a)
गदर पार्टी                                  b)नेशनल पार्टी           
c)स्वतंत्र पार्टी                                                             d)राष्ट्रीय वादी पार्टी

    10.  भगत सिंह सदैव किसका चित्र पॉकेट में रखते थे?
a)
गुरु गोविंद सिंह                                           b)गुरु नानक              
c)
महात्मा बुध                                                 d)करतार सिंह सराबा

    11.  भगत सिंह किस उम्र से क्रांतिकारी गतिविधियों में सक्रिय हुए?
a)
12 साल                                                      b)18 साल                 
c)
10 साल                                              d)15 साल

    12.  शहीद भगत सिंह का हिंदी लेख ‘युवक’ कब प्रकाशित हुआ?
a)1924                                                             b)1930
c)1940                                                             d)1950

    13.  भगत सिंह कब चौरीचौरा कांड में शरीक हुए?
a)1925                                                           b)1922                       
c)
1918                                                           d)1925

    14.  भगत सिंह  ने नौजवान सभा की शाखाएं कहां कहां स्थापित की?
a)पटना-दिल्ली                                                b)कानपुर-कलकत्ता 
c)
अजमेर-गाजीपुर                                           d)विभिन्न शहरों में

    15.  भगत सिंह को  किस षड्यंत्र केस में फांसी की सजा हुई थी?
a)लोहार                                                           b)पटना           
c)
देल्ली                                                      d)कोलकत्ता     

    16.  भगत सिंह की पहली गिरफ़्तारी कब हुई?
a)1926                                                             b)1920
c)1915                                                             d)1910

    17.  भगत सिंह के पिता कौन थे?
a)किशन सिंह                                                             b)सूरज सिंह चौहान
c)
गुप्ता प्रसाद                                                       d)प्रेम सिंह

Question Answer

1.     विद्यार्थियों को राजनीति में भाग क्यों लेना चाहिए ?
उत्तर-विद्यार्थियों को राजनीति में भाग किसी ले लेना चाहिए| क्योंकि उन्हें कल देश की बागडोर अपने हाथ में लेनी है| अगर भी आज से ही राजनीतिक में भाग नहीं लेंगे तो आने वाले समय में देश की भली भांति नहीं संभाल पाएंगे जिससे देश का विकास ना हो सकेगा|
 

2.     भगतसिंह की विद्यार्थियों से क्या अपेक्षाएँ हैं ?
उत्तर- भगत सिंह की विद्यार्थियों से बहुत सी अपेक्षाएं हैं| वे चाहते हैं कि विद्यार्थी राजनीतिक तथा देश की परिस्थितियों का ज्ञान प्राप्त करें और उनके सुधार के उपाय सोचने की योग्यता पैदा करें| वह देश की सेवा में तन मन धन से जुट जाएं और अपने प्राण निछावर करने से भी पीछे ना हटे

3.     भगत सिंह के अनुसार ' केवल कष्ट सहकर देश की सेवा की जा सकती है । ' उनके जीवन के आधार पर उसे प्रमाणित करें ।
उत्तर- भगतसिंह उत्कृष्ट राष्ट्रभक्त और महान क्रान्तिकारी थे । उस काल में देशभक्त होना पाप था और क्रान्तिकारी होना तो महापाप था । फिर ऐसा व्यक्ति कष्टपूर्ण जीवन ही व्यतीत करता है । भगतसिंह का कष्टपूर्ण जीवन 12 वर्ष से ही प्रारम्भ हो गया था । जलियाँवाला बाग की मिट्टी लेकर उनका संकल्प गूंजा था । उनकी प्रथम कारागार यात्रा अक्टूबर 1926 में हुई थी । उनके द्वारा जीवन कष्टों में ही बीता और असेम्बली में बम फेंकने के बाद तो वे कारागर में ही रहे । उनका हौसला बड़ा बुलन्द था साथ ही वह यह भी मानते थे कि वे किसी भी कार्य को उचित मानकर ही करते हैं । उनका असेम्बली में बल फेंकना भी विचारपूर्ण कार्य था । कार्य के बाद उसका फल भोगना ही पड़ता है । उन्होंने पत्र में यह भी लिखा था कि मुझे अपने लिए मृत्युदण्ड सुनाये जाने का अटल विश्वास है । उन्होंने रूसी साहित्य का सन्दर्भ देते हुए कहा है - विपत्तियाँ व्यक्ति को पूर्ण बनाने वाली होती हैं । हमारे साहित्य में दुःख की स्थिति न के बराबर होती है पर रूसी साहित्य में ये स्थितियाँ काफी होती हैं और हम उन्हें इसी कारण पसन्द भी करते हैं । वे यह मानते हैं कि हमारे जैसे व्यक्तियों में जो प्रत्येक दृष्टि से क्रान्तिकारी होने का गर्व करते हैं सदैव हर प्रकार से उन विपत्तियों , चिन्ताओं दुःख और कष्टों को सहन करने के लिये तत्पर रहना चाहिए , जिनको स्वयं प्रारम्भ किये संघर्ष द्वारा आमन्त्रित किया गया है और जिनके कारण हम अपने आपको क्रान्तिकारी कहते हैं । यही हठ उनका विश्वास था कि भगतसिंह फाँसी के फन्दे पर झूल गये । ये कष्ट उन्होंने क्यों सहे इनका प्रभाव जनता पर पड़ेगा और जनता आन्दोलित हो उठेगी । अत : भगतसिंह की यह उक्ति बड़ी सार्थक है ।

4.     भगत सिंह ने कैसी मृत्यु को सुन्दर कहा है ? वे आत्महत्या को कायरता कहते हैं , इस सम्बन्ध में उनके विचारों को स्पष्ट करें ।
उत्तर - भगतसिंह ने बम फेंका , यह जानकर कि वे पकड़े जायेंगे , वे भागे भी नहीं स्वयं बन्दी बन गये । उनको उस समय यह भी विश्वास था कि उन्हें फाँसी दी जा सकती है और दी जानी भी चाहिए क्योंकि बम फेंकने का कार्य किया था । कार्य करने के बाद उसका परिणाम भी तो आता है । वह यह भी कहते हैं जिन लोगों को यह विश्वास है कि उन्हें मृत्युदण्ड मिलेगा , उन्हें धैर्यपूर्वक उस दिन की प्रतीक्षा करनी चाहिए । उन्होंने पत्र में साफ लिखा था-
" मुझे अपने लिए मृत्युदण्ड सुनाए जाने का अटल विश्वास है । मुझे किसी प्रकार की पूर्ण क्षमा या नम्र व्यवहार की तनिक भी आशा नहीं है । वे यह भी मानते हैं कि जब देश का कोई सम्मानपूर्ण और उचित समझौता हो रहा हो हमारे जैसे व्यक्तियों का मामला उसके मार्ग में कोई रुकावट या कठिनाई नहीं बनना चाहिए । जब देश के भाग्य का निर्णय हो रहा हो तो हमें फाँसी दे दी जाय । यही मृत्यु उनके लिये कल्याणकारी होगी । जिसमें देश का कल्याण हो - शोषक यहाँ से चले जायेंगे और अपना काम हमें स्वयं ही करना होगा। "

5.     भगत सिंह रूसी साहित्य को इतना महत्वपूर्ण क्यों मानते हैं ? वे एक क्रान्तिकारी से क्या अपेक्षाएँ रखते हैं ?
उत्तर– भगत सिंह मानते हैं रूसी साहित्य में प्रत्येक स्थान पर जो वास्तविकता मिलती है वह हमारे साहित्य में कदापि नहीं दिखाई देती । हम उन कहानियों में कष्टों और दुखमयी स्थितियों को बहुत पसन्द करते हैं परन्तु कष्ट सहने की उस भावना को अपने भीतर अनुभव नहीं करते । हम इनके उन्माद और उनके चरित्र की असाधारण ऊँचाइयों के प्रशंसक , परन्तु इसके कारणों पर सोच - विचार करने की कभी चिन्ता नहीं करते । वे यह भी मानते हैं केवल विपत्ति सहन करने के साहित्य के उल्लेख ने ही उन कहानियों में सहदयता के दर्द की गहरी टीस और उनके साहित्य ने ऊँचाई उत्पन्न की है । भगतसिंह क्रान्तिकारियों के विषय में कहते हैं या उनसे अपेक्षा करते हैं- हम उनकी कहानियाँ पढ़कर कष्ट सहन करने की उस भावना को अनुभव करें । उनके कारणों पर विचार - विमर्श करें । साथ ही हम जैसे क्रान्तिकारियों को सदैव हर प्रकार से उन विपत्तियों , चिन्ताओं , दुखों और कष्टों को सहन करने के लिए तत्पर रहना चाहिए । भगतसिंह यह भी स्पष्ट करते हैं कि मेरा नजरिया यह रहा है कि सभी राजनीतिक कार्यकर्ताओं को इन स्थितियों में उपेक्षा दिखानी चाहिए और उनको , जो कठोरतम सजा मिलनी है उसको सहर्ष हँसते हँसते बर्दाश्त करना चाहिए । क्रान्तिकारियों को उनकी यह भी सम्मति है कि किसी आन्दोलन के विषय में यह कहना कि दूसरा कोई यह काम कर लेगा अथवा यह करने हेतु काफी लोग है , यह उचित नहीं है . इस प्रकार जो लोग क्रान्तिकारी क्षेत्र में पैर डालना अप्रतिष्ठापूर्ण एवं घृणित समझते हैं उन्हें पूरी लगन के साथ वर्तमान व्यवस्था कार्यों के विरुद्ध संघर्ष प्रारम्भ कर देना चाहिए ।

6.     ‘उन्हें चाहिए कि वे उन विधियों का उल्लंघन करें परन्तु उन्हें औचित्य का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि अनावश्यक एवं अनुचित प्रयल कभी भी न्यायपूर्ण नहीं माना जा सकता|’ भगतसिंह के इस कथन का आशय बतलाएँ इससे उनके चिन्तन का कौन - सा पक्ष उभरता है ? वर्णन करें।
उत्तर- भगतसिंह का यह सन्देश क्रान्तिकारियों के प्रति है शासन यदि शोषक हो , अत्याचारी हो , नियमों का पालन भी न करता हो , उसकी गतिविधियाँ जन विरोधी हों , गरीब जनता को सताया जा रहा हो , मानवता घुट रही हो , पिस रही हो तो क्रान्तिकारियों को चाहिए कि वे संघर्ष में जुट जायें । यह संघर्ष आवश्यक है अनिवार्य है , अनुचित नहीं है । संघर्ष गरीव शोषित प्रताड़ित के हितार्थ होता है , तो वह सर्वथा न्यायोचित है , पर जो संघर्ष बदले की भावना अथवा प्रतिक्रियास्वरूप होता है तो उसको न्यायपूर्ण नहीं माना जा सकता है । इस कथन के साथ ही उन्होंने रूस की जारशाही का उदाहरण भी दिया है । जेल में बन्दियों को घोर विपत्तियाँ दी गयी थीं । यही कार्य जारशाही के पतन का कारण बना । उसके बाद जेलों की व्यवस्था में सुधार हुआ । वे यह भी मानते हैं कि विरोध का तरीका भी उचित ही होना चाहिए , अन्यायपूर्ण नहीं सर्वथा न्यायपूर्ण होना चाहिए । जहाँ तक भगतसिंह के चिन्तन का प्रश्न है वह अत्याचार सहन करना कायरता मानते हैं पर विरोध का दर्शन मानवतावादी ही है जिसमें दुर्बल , प्रताड़ित , शोषित के प्रति करुणा की भावना समाहित हो यदि मानवता पर प्रहार हो तो तुरन्त संघर्ष प्रारम्भ कर देना चाहिए ।

7.     ‘जब देश के भाग्य का निर्णय हो रहा हो तो व्यक्तियों के भाग्य को पूर्णतया भुला देना चाहिए । आज जब देश आजाद है , भगतसिंह के इस विचार का आप किस तरह मूल्यांकन करेंगे ? अपना पक्ष प्रस्तुत करें ।
उत्तर - यहाँ दो स्थितियाँ हैं , देश के बारे में सोचना और अपने बारे में सोचना । यह भी सोचना कि देश बड़ा है अथवा व्यक्ति । भगतसिंह यही मानते हैं कि देश सर्वोपरि है , उसके सामने व्यक्ति का मूल्य नहीं है । महाभारत में कहा गया है - परिवार हेतु व्यक्ति का परित्याग कर देना चाहिए और राष्ट्रहितार्थ सर्वस्व का बलिदान कर देना चाहिए और हुआ भी यही है । चन्द्रशेखर , भगतसिंह , सुभाष इसी परम्परा के रत्न हैं , जिनके आधार पर ही अंग्रेजी शासन हिल गया था । पर आज व्यक्ति , महत्वपूर्ण हो गया है , देश पीछे धकेल दिया गया है । स्विस बैंक के खाते , करोड़ों के घोटाले , अरबों धन का दुरुपयोग - जो देश हित में काम आ सकता है , वह एक व्यक्ति का महत्व बढ़ाने हेतु किया जा रहा है पेट काफी मोटे हो गये हैं वे भरते ही नहीं , देश की कौन सोचता है ? है कोई ऐसा व्यक्ति जो शुद्ध हृदय से अपने व्यष्टि को पीछे धकेलकर समष्टि हितार्थ कार्य करे और राष्ट्रहित पर अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दे । है वहाँ कोई सावरकर , है कोई माण्डले का बन्दी गीता रहस्य का रचयिता ? है कोई लाल , बाल , पाल ? स्वतन्त्रता मिली , मानो लूटने का सर्टीफिकेट ही थमा दिया गया हो और महँगाई , भुखमरी देश की जनता झेल रही है , हम तो चाँदी की चम्मच से चटनी चाट ही रहे हैं ।
 

8.      भगतसिंह ने अपनी फाँसी के लिए किस समय की इच्छा व्यक्त की है ? वे ऐसा समय क्यों चुनते हैं ?
उत्तर - भगत सिंह ने अपनी फांसी के लिए इच्छा व्यक्त करते हुए कहा कि जब यह आंदोलन अपने चरम सीमा पर पहुंचे तो हमें फांसी दे दी जाए| वह ऐसा समय इसलिए चुनते हैं क्योंकि वह नहीं चाहते कि यदि कोई सम्मान पूर्णिया उचित समझौता होना हो तो उन जैसे व्यक्तियों का मामला उनमें कोई रुकावट उत्पन्न करें|

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