उसने कहा था
चंद्रधर शर्मा गुलेरी
परिचय
·
जन्म- 7 जुलाई
1883
·
निधन- 12 सितम्बर
1922
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जन्म स्थान- जयपुर राजस्थान
·
मूल निवास- ‘गुलेर’
नमक ग्राम, जिला-कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश
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पिता- पं. शिवराम
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शिक्षा- 1899 में
इलाहाबाद तथा कोल्कता विश्वविद्यालय से क्रमश: एंट्रेंस तथा मैट्रिक, 1901 में कोल्कता विश्वविद्यालय से
इंटरमीडीएट, 1903
में
इलाहाबाद विश्वविद्यालयसे बी.ए.
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संपादन- समालोचक, काशी नागरी प्रचारिणी पत्रिका
·
रचनाएँ- कहानी: सुखमय जीवन (1911), बुद्धू का काँटा (1911), उसने कहा था (1915),
पाठ का सारांश
कहानी का प्रारंभ अमृतसर नगर के चौक बाजार में
एक 8 वर्षीय सिख बालिका तथा एक 12 वर्षीय सिख बालक के बीच छोटे से वार्तालाप से होता
है । दोनों ही बालक - बालिका अपने - अपने मामा के यहां आए हुए हैं । बालिका व बालक
दोनों सामान खरीदने बाजार आए थे कि बालक मुस्कुराकर के बालिका से पूछता है “ क्या तेरी कुडमाई
( सगाई ) हो गई ? " इस पर बालिका कुछ आँखे चढ़ाकर “ धत " कहकर दौड़ गई और लड़का मुंह देखता रह गया
| यह दोनों बालक बालिका दूसरे तीसरे दिन एक दूसरे से कभी किसी दुकान पर कभी कहीं
टकरा जाते और वही प्रश्न और वही उत्तर | एक दिन ऐसा हुआ कि बालक ने वही प्रश्न
पूछा और बालिका ने उसका उत्तर लड़की की संभावना के विरुद्ध दिया और बोली “ हां हो गई । ” इस उत्तर को सुनकर
लड़का चौक पड़ता है और पूछता है कब ? लड़की कहती है “ कल देखते नहीं यह रेशम से कढ़ा हुआ साल ! ” और यह कह कर भाग
जाती है | परंतु लड़के के ऊपर मनोव्रजपात होता है और वह किसी को नाली में धकेलता
है , किसी छाबड़ी वाले की छाबड़ी गिरा देता है , किसी कुत्ते को पत्थर मारता है ,
किसी सब्जी वाले के ठेले में दूध उड़ेल देता है और किसी सामने आती हुई वैष्णवी से
टक्कर मार देता है और गाली खाता है | कहानी का पहला भाग यही नाटकीय ढंग से समाप्त
हो जाता है | इस बालक का नाम था लहना सिंह और बालिका बाद में सूबेदारनी के रूप में
हमारे सामने आती है । इस घटना के 25 वर्ष बाद कहानी का दूसरा भाग शुरू होता है ।
लहना सिंह युवा हो गया और जर्मनी के विरुद्ध लड़ाई में लड़ने वाले सैनिकों में
भर्ती हो गया | और अब वह 77 राइफल्स में जमादार है | एक बार वह सात दिन की छुट्टी
लेकर अपनी जमीन के किसी मुकदमे की पैरवी करने घर आया था । वहीं उसे अपने रेजिमेंट
के अवसर की चिट्ठी मिलती है की फौज को युद्ध पर जाना है , फ़ौरन चले आओ | इसी के
साथ सेना के सूबेदार हजारा सिंह को भी चिट्ठी मिलती है कि उसे और उसके बेटे बोधा
सिंह दोनों को ( लाम ) युद्ध पर जाना है , अतः साथ ही चलेंगे | सूबेदार का गांव
रास्ते में पड़ता है और वह लहना सिंह को चाहता भी बहुत था | लहना सिंह सूबेदार के
घर पहुंच गया जब तीनों चलने लगे तब अकेले में सूबेदारनी उसे " कुड़माई हो गई " वाला वाक्य दोहरा
कर कर 25 वर्ष पहले की घटना की याद दिलाती है और कहती है कि जिस तरह उस समय उसने
एक बार घोड़े की लातों से उसकी रक्षा की थी उसी प्रकार उसके पति और एकमात्र पुत्र
की भी रक्षा करें | वह उसके आगे अपना आँचल पसार का भिक्षा मांगती है | यह बात ललन
सिंह के दिल छू जाती है | युद्ध भूमि पर उसने सूबेदारनी के बेटे को अपने प्राणों
की चिंता न करके जान बचाई । पर इस कोशिश में वह खुद घातक रूप से घायल हो गया |
उसने अपने घाव पर बिना किसी को बताए कसकर पट्टी बांध लिया और इसी अवस्था में जर्मन
सैनिकों का मुकाबला करता रहा | शत्रुपक्ष की पराजय के बाद उसने सूबेदारनी के पति
और उसके पुत्र को गाडी में सकुशल बैठा दिया और चलते हुए कहा “ सुनिए तो
सूबेदारनी को चिट्ठी लिखो तो मेरा मत्था टेकना लिख देना और जब घर जाओ तो कह देना
कि मुझसे जो उन्होंने कहा था वह मैं कर दिया | सूबेदार पूछता ही रह गया उसने क्या
कहा था कि गाड़ी चल दी । बाद में उसने वजीरा से पानी मांगा और कमरबंद खोलने को कहा
क्योंकि वह खून से टार था तथा मृत्यु निकट होने होने पर जीवन की सारी घटनाएं
चलचित्र के समान घूम गई और अंतिम वाक्य जो उसके मुंह से निकला वह था “ उसने कहा था " इसके बाद अखबार
में छपा कि “ फ्रांस और बेल्जियम 68 सूची मैदान में घावों से भरा नं . 77 सिख राइफल जमादार
सिंह । इस प्रकार अपनी बचपन की छोटी सी मुलाकात में हुए परिचय उसके मन में
सूबेदारनी के प्रति जो प्रेम उदित हुआ था उसके कारण उसने सूबेदारनी के द्वारा कहे
गए वाक्यों को स्मरण रख उसके पति व पुत्र की रक्षा करने में अपनी जान दे दी
क्योंकि उसने कहा था |
Objective Question
1. उसने
कहा था कहानी के कहानीकार कौन है?
a)भगत सिंह b)उदय
प्रकाश
c)चंद्रधर शर्मा गुलेरी d)रघुवीर
सहाय
2. हिंदी
की पहली श्रेष्ठ कहानी कौन सी है?
a)गौरा b)उसने
कहा था
c)पूस की रात d)पंच
परमेश्वर
3. गद्य
का विकास किस काल में हुआ?
a)आधुनिक
काल b)मध्ययुगीन काल
c)भक्ति काल d)इनमें
से कोई नहीं
4. उसने
कहा था कहानी किस वर्ष में लिखी गई?
a)1920 b)1915
c)1921 d)1914
5. किरात
सिंह कौन है?
a)लहना
सिंह का भतीजा b)सुबरदानी का बेटा
c)लहना का भाई d)इनमें से कोई नहीं
6. उसने
कहा था कैसी कहानी है?
a)फ्लैशबैक स्टाइल b)हैप्पी
एंडिंग
c)पेनफुल स्टोरी d)इनमें
से कोई नहीं
7. चंद्रधर
गुलेरी की कहानी कौन सी है?
a)सिपाही की मां a)उसने
कहा था
c)रोज d)जूठन
8. किसी
कहानी को महान कौन बनाता है?
a)कहानी के किरदार b)कहानी
के उद्देश्य
c)कहानी का अंत d)इनमें
से कोई नहीं
9. चंद्रधर
शर्मा गुलेरी किस युग के कहानीकार हैं?
a)प्रेमचंद युग b)भात्रेंदु
युग
c)भक्ति योग d)इनमें
से कोई नहीं
10. उसने
कहा था कहानी कितने भागों में बाटी हुई है?
a)3 b)4
c)5 d)6
11. पाठ
में किस महीने का नाम आया है?
a)कार्तिक b)पूस
c)बैसाख d)इनमें से कोई नहीं
12. पलटन
का विदूषक कौन था?
a)लहना सिंह b)वजीर
सिंह
c)उधम सिंह d)बर्क
सिंह
13. चंद्रधर
शर्मा गुलेरी का जन्म कब हुआ था?
a)1883 b)1980
c)1850 d)1805
14. चंद्रधर
शर्मा गुलेरी की वृत्ति क्या है?
a)व्यापार b)खेती
बारी
c)अध्यापन d)इनमें
से कोई नहीं
15. गुलेरी
जी ने किस पत्रिका का संपादन किया?
a)गंगा b)माधुरी
c)समालोचक d)इनमें
से कोई नहीं
16. काशी
नगरी पत्रिका के गुलेरी जी क्या है?
a)लेखक b)कवि
c)संपादक d)इनमें
से कोई नहीं
17. कुछ
दूर जाकर लड़के ने पूछा “तेरी........हो गई”
a)शादी b)कुडमाई
c)पढाई d)इनमे से कोई नहीं
18. लड़का
और लड़की में भेद कहां हुई थी?
a)चौक में b)गली
में
c)सड़क पर d)ट्रेन
में
19. लहंगा
सिंह किस देश की ओर से युद्ध कर रहा था?
a)भारत b)इंग्लैंड
c)नेपाल d)अमेरिका
20. लहना
सिंह का सिर किस की गोद में था?
a)बोधा सिंह b)वजीरा
सिंह
c)हजारा सिंह d)दुर्गा
सिंह
21. लड़की
कहां रहती थी?
a)अतर सिंह की बैठक में b)नानी की
कोठी में
c)मगरे में d)मामा
के घर में
22. नकली
लड़ाई के पीछे लहना सिंह कहाँ शिकार पर गया था?
a)जगाधरी b)अमृतसर
c)रोहतक d)जालंधर
Question Answer
1.
‘उसने
कहा था’ कहानी कितने
भागों में बटी हुई है? कहानी
के कितने भागों में युद्ध का वर्णन है?
उत्तर- “उसने कहा था” कहानी को पांच भागों में बांटी गई है| इस पूरी कहानी में
तीन भागों में युद्ध का वर्णन है| दुसरे, तीसरे और चौथे भाग में युद्ध के दृश्य
हैं|
2.
कहानी के पात्रों की एक सूची तैयार
करें|
उत्तर- कहानी में
कई पात्र हैं जिनमें से कुछ प्रमुख हैं और कुछ गौण| कहानी के पात्रों के नाम
निम्नलिखित हैं|
लहनासिंह (नायक), सूबेदारनी, सूबेदार हजारासिंह, बोधासिंह (सूबेदार का बेटा),
अतरसिंह (लड़की का मामा), माहासिंह
(सिपाही), वजीरासिंह (सिपाही), आदि
3.
लहनासिंह का परिचय अपने शब्दों में
दे|
उत्तर- लहना सिंह
एक वीर सिपाही है| वह उसने कहा था कहानी का प्रमुख पात्र तथा नायक हैं| लेखक ने
कहानी में उसके चरित्र को पूरी तरह उभारा
है| कहानी में उसके चरित्र की निम्नलिखित व्यवस्था उभर कर सामने आई है|
कहानी का नायक: कहानी का समस्त घटनाक्रम लहनासिंह के आसपास घटता है| जिससे यह
स्पष्ट होता है कि वह कहानी का प्रमुख पात्र तथा नायक है|
सच्चा प्रेमी- लहनासिंह एक सच्चा प्रेमी है| बचपन में उसके हृदय में एक अनजान
भावना ने जन्म लिया जो प्रेम था| यद्यपि उसे अपना प्रेम ना मिल सका लेकिन फिर भी
उसने सच्चाई से उसे अपने हृदय में बसा रखा|
बहादुर तथा निडर: लहनासिंह बहादुर तथा निडर
व्यक्तित्व का स्वामी है | तभी तो बैठे रहने से बेहतर युद्ध को समझा था|
वचन पालन: सुबेदरानी लहना सिंह से अपने पति और बेटे के प्राणों की रक्षा करने की
बात कही थी लेकिन लहना सिंह ने उसे एक वचन की तरह निभाया और इसके लिए अपने प्राण
न्योछावर कर दिए|
4.
पाठ से लहना और सूबेदारनी के संवादों
को एकत्रित करें|
उत्तर- पाठ में लहनासिंह और सूबेदारनी के बीच कुछ संवाद है जो निम्नलिखित है|
बचपन का संवाद-
“तेरा घर कहां है?”
“मगरे में- और तेरा|”
“माँझे” में; यहां कहां
रहती है?”
“अतरसिंह की बैठक
में, वे मेरे मामा होते है |”
“मैं भी मामा के
यहाँ हूँ, उनका घर गुरु बाज़ार में है”
इतने में दुकानदार........... लड़के ने मुस्कुराकर पूछा ---“तेरी कुडमाई हो
गई?”
इस पर लड़की कुछ आंख चढ़ाकर धत कहा कर दौर गई|
सूबेदार के घर का संवाद---
“मुझे पहचाना”
“नहीं”
“तेरी कुडमाई हो
गई? ‘धत’---कल हो गई”
“सूबेदारनी कह रही
है—“मैंने तेरे को आते ही पहचान लिया|........तुम्हारे आगे मैं
अंचल पसारती हूँ”
5.
“कल, देखते नहीं या रेशम से गढ़ा हुआ सालू|” वह सुनते ही लहना की क्या
प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर- “कल, देखते नहीं
यह रेशम से गढ़ा हुआ सालू|” सुनते ही लहना
को काफी गुस्सा आया| साथ ही वह अपने सुध बुध खो बैठा| इसलिए घर वापस आते समय एक
लड़के को नाली में धकेल दिया| एक खोमचे
वाले के खोमचे से बिखेर दिए| एक कुत्ते को पत्थर मारा और एक सब्जी वाले की का दूध
उड़ेल दिया| एक पूजा पाठ करने वाली औरत से टकरा गया जिससे उसे अंधा का कहा| तब
जाकर अपने घर पहुंचा|
6.
“जाडा क्या है, मौत है और निमोनिया से मरने वाले को मुरब्बे
नहीं मिला करते”,
वजीरासिंह के इस कथन का क्या आशय है”
उत्तर- “जादा क्या है, मौत
है और निमोनिया से मरने वाले को मुरब्बे नहीं मिला करते” वजीरासिंह के इस कथन का आशय है कि वहां युद्ध के मैदान में
अत्यधिक ठंडा पड़ रही है जिसके कारण ऐसा लगता है कि मानो उसकी जान ही निकल जाएगी
वैसे भी इस स्थिति में इतने लोगों को निमोनिया हो रहा है कि उन्हें मरने के लिए
स्थान भी नहीं मिल रहा है|
7.
‘कहती
है, तुम राजा
हो, मेरे मुल्क को बचने आये हो|” वजीरा के इस कथन में किसकी ओर संकेत
है?
उत्तर- “कहती है, तुम राजा हो मेरे को बचाने आए हो|” वजीरा के इस कथन में
फ्रांस की मेम ओर संकेत है|
8.
लहनासिंह के गांव में आया तुर्की
मौलवी क्या कहता है?
उत्तर- लहना के गांव में आया तुर्की मौलवी कहता था कि जर्मनी वाले बड़े पंडित है|
वेद पढ़- पढ़कर उसमें विमान चलाने की विद्या जान गए है | मंडी में बनियों को बहकत
था की डाकखाने से रुपया निकल लो, सर्कार का राज्य जाने वाला है|
9.
'लहनासिंह का दायित्व बोध और उसकी बुद्धि दोनों ही
स्पृहणीय हैं' । इस कथन की पुष्टि करें ।
उत्तर - लहनासिंह एक सैनिक था , उसका कर्त्तव्य था रणक्षेत्र में लड़ना , साथ ही
उसका यह भी कर्त्तव्य था कि वह हर समय सजग रहे । युद्ध भूमि में सैनिक को बड़ा
सावधान रहना चाहिए साथ ही उसका यह भी कर्त्तव्य था कि वह बोधासिंह और सूबेदार
हजारासिंह के प्राणों की रक्षा भी करे । क्योंकि सूबेदारनी ने आँचल पसार कर यही
भीख माँगी थी और हम देखते हैं कि उसने अपने सभी कर्त्तव्यों का पालन किया है । वह
बहादुर है और पूरा सजग है । यह उसकी ही सजगता थी कि लपटन साहब को उसने पहचान लिया
। उसका दूसरा कर्त्तव्य था सूबेदार ओर बोधासिंह की रक्षा , उस कसौटी पर भी वह खरा
उतरता है । स्वयं जाड़ा खाता है बोधा को अपनी जरसी दे देता है और उन दोनों को
सुरक्षित खाई से भेज देता है । वह बुद्धिमान और विलक्षण समझ - बूझ वाला व्यक्ति है
। उसकी खाई में लपटन साहब के भेष में एक जर्मन अफसर आ जाता है । यहाँ उसकी समझ -
बूझ विलक्षण है वह उसको बड़े कायदे से पहचान लेता है । वजीरासिंह को पीछे के
दरवाजे से भेजता है । सूबेदार को सावधान कर फिर बनावटी लपटन साहब की खबर लेता है ।
उसके कथन बड़े बुद्धिमत्तापूर्ण हैं । इस प्रकार उसमें ये दोनों विशेषताएँ अपने
चरम पर हैं - उत्तरदायित्वबोध और बुद्धिमत्ता ।
10.
प्रसंग एवं अभिप्राय बताइए 'मृत्यु के कुछ समय पहले स्मृति बहुत साफ हो जाती
है । सारी घटनाएँ एक - एक करके सामने आती हैं । सारे दृश्यों के रंग साफ होते हैं
। समय की धुंध बिल्कुल उन पर से हट जाती है ।'
उत्तर - ये
पंक्तियाँ उस समय की हैं जब उसने कहा था ' कहानी में लहनासिंह घायल होकर बोधासिंह
को अस्पताल भेज देता है और स्वयं नहीं जाता , फिर वह वजीरा से पानी माँगता है । उस
समय उसकी चेतना में उसका अतीत उभर आता है । व्याख्या - यह एक मनोवैज्ञानिक मान्यता
है कि मृत्यु से पूर्व व्यक्ति का चित्त पुरानी स्मृतियों में उलझ जाता है और
उनमें से वह स्मृति जो उसके जीवन की सबसे महत्वपूर्ण स्मृति होती है , उसकी चेतना
में उभर आती है । साथ ही उससे सम्बन्धित अन्य छोटी - मोटी स्मृतियाँ भी उसके सामने
एक - एक करके आती चली जाती हैं । साथ ही वे घटनाएँ अपने पूरे रंग के साथ उभर आती
हैं अब तक जो कि सुप्त पड़ी हुई थीं अथवा उन पर धुंध चढ़ गयी थी , वह भी साफ हो
जाती हैं । लहना की भी अमृतसर में एक बालिका से भेंट ओर सूबेदारनी का आंचल फैलाना
अब साफ - साफ याद आ रहा था , यही उसके जीवन का मार्मिक प्रसंग था ।
11.
मर्म स्पष्ट करें-
(क) 'अब के हाड़ में यह आम खूब फलेगा । चाचा भतीजा दोनों
वहीं बैठकर आम खाना । जितना बड़ा भतीजा है उतना ही यह आम है । जिस महीने उसका जन्म
हुआ था , उसी महीने मैंने इसे लगाया था ।'
(ख) और अब घर जाओ तो कह देना कि मुझे जो उसने कहा था वह
मैंने कर दिया ।
उत्तर- (क)
घायल लहनासिंह मृत्यु के आगोश में समाता चला जा रहा है उसकी स्मृतियाँ उभर रही हैं
। उसके साथ ही उसके मन में भावात्मक दृश्य भी कौंध रहे हैं जिनके साथ कल्पना भी
उभर आयी है । वह ग्रामांचल का व्यक्ति है अत : वहाँ की स्थिति उसकी चेतना में उभर
आना स्वाभाविक है और वह गाँव का आम का पेड़ याद करता है । कल्पना बड़ी सुखद है ,
सामयिक है और वह भावी कल्पना में डूब जाता है । इसी कल्पना से उसके सामने से उसकी
मृत्यु का भय टलता चला जाता है । वह यह कल्पना करता है , वह जियेगा , मृत्यु पर भी
विजय पायेगा और सुखी जीवन भी जियेगा यह है उसकी जिजीविषा ।
( ख )
प्रस्तुत पंक्तियाँ उस समय का चित्रण करती है जब युद्ध में लहनासिंह को शत्रु की
गोलियाँ लग जाती हैं । वह बुरी तरह घायल हो जाता है तथा मरणासन्न अवस्था में पहुँच
जाता है । अपना अन्तिम समय निकट जानकर वह वजीरासिंह से कहता है कि जब वह घर जाये
तो सूबेदारनी से कहे कि उसने लहनासिंह को जो करने के लिए कहा था , वह काम लहनासिंह
ने पूरा कर दिया अर्थात् उसने अपने जीवन का त्यागकर उसके पति वजीरासिंह व उसके
पुत्र बोधासिंह के प्राणों की रक्षा की है । इस प्रकार उसने सूबेदारनी को दिया हुआ
अपना वचन पूर्ण किया ।
Har ek chapter ka itna question yaad krenge tob kaise hoga sir
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