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The Artist Summary in Hindi

Bihar Board Class 12th English 100 Marks

 The Artist

Shiga Naoya

Summary in Hindi

सेबे 12 वर्ष का लड़का था, और वह अभी प्राथमिक पाठशाला में पढ़ता था| वह अपने माता-पिता के साथ एक छोटे से बंदरगाह वाले नगर में रहता था| उसे तुम्बे इकठ्ठा करने की धुन थी| स्कूल से घर आते समय वह तुम्बों की खोज में नगर की सड़कों पर अपनी पसंद का तुम्बा  खोजने के लिए घूमा करता था| उसे उन सब स्थानों का पता चल गया था जहां तुम्बे बिकते थे| यदि उसे अपनी पसंद का तुंबा मिल जाता था, वह कुछ सेन (जापानी सिक्का) में खरीद लेता था और उसे घर ले आता था| 

तुम्बा तैयार करना

शाम के समय सेबे बैठक के कमरे के कोने में पालथी मार कर बैठ जाता था| पहले वह तुंबे के सिर में एक साफ छिद्र बनाता था और बीज बाहर निकालता था| फिर वह तुम्बे की गंध दूर करने के लिए चाय की पत्तियों रगड़ता था| जब यह काम पूरा हो जाता था, तो वह थोड़ा सेक  उसके अंदर डाल देता था और छिद्र को कार्क की डाट से बंद कर देता था| फिर वह उसे तालिए में लपेट कर एक टिन में रखता था, और इन सब को कोयले के पांव गर्म करने वाली अंगीठी पर रख देता था| अगली सुबह वह तुम्बा बाहर निकालता था, तो उसे सूखने के लिए धूप में लटका देता था| फिर उसे थोड़े से सेक से पॉलिश करने में कई दिन बिता देता था|



बेकिन का तुम्बा 

एक दिन जब सेबे अपना एक तुंबा पॉलिश कर रहा था, उसके पिता अपने एक मित्र के साथ तुम्बों की चर्चा कर रहे थे| वे बेकिन के तुम्बे के बारे में बात करने लगे| उसे एक कृषि मेले में रखा गया था| उसने  धूम मचा दी थी| सेबे के पिता और उसके मित्र ने भी उसे देखा था| वे  बोले वह बहुत ही सुंदर था| सेबे ने भी उसे देखा था| उसने टिप्पणी कर दी कि वह बेडौल बड़ा-सा था| उसके पिता ने उसे यह टिप्पणी करने पर डांटा और गुस्सा हुए| उसके पिता के मित्र ने उसे सलाह दी कि वह एक  विचित्र तुम्बे ही संग्रह करें| केवल संग्रह करने का कोई लाभ नहीं|

सेबे को अपनी पसंद का तुम्बा मिल गया

एक दिन सेबे ने एक बूढ़ी औरत को फल-सब्जी बेचते देखा| उसके पास तुम्बों की एक लड़ी थी| उसके बीच सेबे ने  एक छोटा सा तुम्बा देखा| वह उत्तेजित हो गया| वह महिला उसे दस येन में देने को तैयार थी| सेबे के पास पैसा ना थे| उसने महिला को वह तुंबा उसके लिए रोके रखने के लिए कहा| वह दौड़कर पैसा लेने के लिए घर गया| उसने तुंबा मोल ले लिया|

तुंबा मुसीबत बन गया

सेबे तुम्बे को चमकाने में हर समय लगा रहता था| वह उसे स्कूल भी ले जाता था| नैतिक शास्त्र का पाठ था परंतु सेबे तुम्बे को सिट के नीचे चमका रहा था| अध्यापक जापान के अन्य भाग का रहने वाला था| वह तुम्बे संग्रह करना अच्छा न समझता था| वह सेबे पर गुस्सा हुआ और उसने तुंबा छीन लिया|

सेबे के पिता सभी तुम्बे तोड़ डालते है 

अध्यापक सेबे के घर पर गया| सेबे के पिता बढ़ई के दुकान पर काम करते थे| वह अभी घर नहीं लौटा था| अध्यापक ने सेबे की शिकायत उसकी मां से की| उसने उसे कहा कि मूर्खतापूर्ण गतिविधियों से बच्चों को दूर रखना माता पिता का कर्तव्य है|  जब सेबे का पिता घर आया, उसे पता चला कि अध्यापक ने क्या कहा था| उसने सेबे को डांटा और पीटा फिर उसने वे सब तुम्बे तोड़ डाले जो सेबे ने बड़े ध्यान से चमकाए थे| इससे सेबे कीतुम्बे संग्रह करने की धुन का अंत हो गया|

जब्त किया हुआ तुंबा 

अध्यापक ने जब्त किया हुआ तुंबा एक चपरासी को दे दिया जिसने कुछ दिन उसे अपनी झोपड़ी में रखा| एक दिन चपरासी को कुछ धन की आवश्यकता पड़ी| वह तुंबा लेकर एक कलाकृति विक्रेता के पास ले गए| कुछ कठोर सौदेबाजी के पश्चात कलाकृति विक्रेता ने चपरासी को उस तुंबे के पचास येन दिए| परंतु चपरासी ने इस बात को गुप्त रखा| बाद में कलाकृति विक्रेता ने वह तुंबा एक धनी संग्रहकर्ता को 600 येन में बेचा| 



सेबे चित्रकारी करने लगा 

सेबे तुम्बे संग्रह न कर सकता था| अब वह चित्र बनाने लगा| यद्यपि उसका पिता उसे अभी भी डाँटता था|


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