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KADBAK KA ARTH // कड़बक कविता का अर्थ // Kadbak by Malik Mohmmad Jayasi // Bihar Board 12th hindi Chapter-1


कड़बक
               मलिक मुहम्मद जायसी

जीवन परिचय

·         मलिक मुहम्मद जायसी की जन्म तिथि और स्थान को लेकर आज भी मतभेद है लेकिन कवि के इस पंक्ति से उसके जन्म के बारे में पता लगाया जा सकता है:
या अवतार मोर नव सदी|
तीस बरस उपर बदी||

इस पंक्ति के अनुसार कहा जा सकता है कि मलिक मुहम्मद जायसी का जन्म 900 हिज़री यानि 15वीं शती उत्तरार्ध, लगभग 1492 ई. में हुआ था|

जन्म स्थान

·         मलिक मुहम्मद जायसी के जन्म स्थान के विषय में भी मतभेद है कि जायस (कब्र अमेठी, उत्तर प्रदेश) ही उसका जन्म स्थान था या कहीं और से आकर जायस में बस गए थे| लेकिन कवी के इस पंक्ति से पता चलता है कि वह जायस के निवासी थे|
जायस नगर मोर अस्थानू|
नागरक नांव आदि उदयानू|
तहां देवास दस पहुने आएऊँ|
भा वैराग बहुत सुख पाएऊँ||

इससे यह पता चलता है की उस नगर का प्राचीन नाम उदयान था और वहां वे एक पाहुने के रूप में पहुंचे और वहीँ उसे वैराग्य हो गया और सुख मिला|
इस प्रकार स्पष्ट है जायसी का जन्म जायस में नहीं हुआ था बल्कि वह उनका धर्म स्थान था और कहीं से आकर वहां रहने लगे|

·         पं. सूर्यकांत शास्त्री ने लिखा है कि उनका जन्म जायस शहर के कंचाना मुहल्ला में हुआ था|

·         कई विद्वानों ने कहा है कि जायसी का जन्म गाजीपुर में हुआ था|
जायसी की मृत्यु

·         मलिक मुहम्मद जायसी की मृत्यु को लेकर भी मतभेद है | इनका निधन सम्भतः 1548 ई. में हुआ था|

·         जायसी के पिता का नाम मलिक शेख ममरेज (मलिक राजे अशरफ) था जो एक मामूली जमींदार थे और खेती करते थे|

·         जायसी ने अपनी कुछ रचनाओ में अपने गुरु सूफी संत शेख मोहिदी और सैयद अशरफ जहाँगीर का उल्लेख करते है| उनका कहना है, सैयद अशरफ जो एक प्रिय संत थे मेरे लिए उज्जवल पथ के प्रदशर्क बने और उन्होंने प्रेम का दीपक जलाकर मेरा ह्रदय निर्मल कर दिया|

जायसी की वृत्ति

·         आरम्भ में जायस में रहते हुए किसानी, बाद में शेष जीवन फकीरी में, बचपन में ही अनाथ, साधुओं-फिकिरों के साथ भटकते हुए बचपन बीता|

जायसी का व्यक्तित्व

·         चेचक के कारण रूपहीन तथा बाई आँख और कान से वंचित| मृदुभाषी, मनस्वी और स्वभातः संत|

·         जायसी एक बार जब शेरशाह के दरबार में गए तो वह उन्हें देखकर हंस पड़ा| तब जायसी ने शांत भाव से पूछा:
मोहिका हससि, कि कोहरहि?
यानि तू मुझ पर हंसा या उस कुम्हार (इश्वर) पर| तब शेरशाह ने लज्जित होकर मांफी मांगी|

कृतियाँ

·         पद्द्मावत, अखरावट, आखिरी कलाम, कहरानामा(महरी बाईसी), मसला या मसलानामा, चंपावत, होलोनामा, इतरावत, आदि

·         जायसी का महँ कथाकाव्य ‘पद्द्मावत’ है जिसमे चित्तौड़ नरेश रतनसेन और सिंहल द्वीप की राजकुमारी पद्द्मावती की प्रेमकथा है|

·         जायसी सूफी काव्यधारा अथवा प्रेममाग्री शाखा के कवि थे|

·         जायसी को ‘प्रेम की पीर’  के कवि के नाम से जाना जाता है|

कड़बक - 1 भावार्थ 

एक नैन कबि मुहमद गुनी , सोई निमोहा जेई कबि सुनी 
यह पंक्ति मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत के अंश है जिसमे कवि कहते है कि वह एक नैन के होते हुए भी गुणवान है । उनकी कवि वाणी में वह प्रभाव है कि जो भी उनकी काव्य को सुनता है वह मोहित हो जाता है|

चाँद जईस जग बिधि औतारा | दीन्ह कलंक कीन्ह उजिआरा | 
यह पंक्ति मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत के अंश है जिसमें कवि कहते है कि जिस प्रकार ईश्वर ने संसार में सदोष लेकिन प्रभायुक्त ( दीप्तिमान ) चन्द्रमा को बनाया है , उसी प्रकार प्रकार जायसी की कीर्ति उज्जवल थी लेकिन उनमें अंग - भंग दोष था ।

जग सूझा एकड़ नैनाहाँ | उवा सूक अस नखतन्ह माहाँ | 
यह पंक्ति मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत के अंश है जिसमें कवि कहते है कि वह समदर्शी थे क्योंकि उन्होंने संसार को हमेशा एक ही आंख से देखा | उनका वह आँख दुसरे मनुष्यों के आँखों के तुलना में ठीक उस प्रकार तेज था जिस प्रकार तारागण के बीच उदित हुआ शुक्रतारा।

जौ लहि अंबहि डाभ न होई | तौ लहि सुगन्ध बसाइ न सोई | 
यह पंक्ति मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत के अंश है जिसमें कवि कहते है कि जब तक आम के मंजरी में कोइलिया नहीं होता तब तक वह मधुर सौरभ से सुवासित नहीं होता ।

कीन्ह समन्द्र पानि जौ खारा | तौ अति भएउ असुझ अपारा । 
यह पंक्ति मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत के अंश है जिसमें कवि कहते है कि समुन्द्र का पानी खारा है इसलिए ही यह असूझ और अपार है ।

जौ सुमेरु तिरसूल बिनासा | भा कंचनगिरि आग अकासा |  
यह पंक्ति मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत के अंश है जिसमे कवि कहते है कि सुमेरु पर्वत के स्वर्णमय होने का एकमात्र कारण यही है कि वह शिव - त्रिशल दवारा नष्ट किया गया है जिसके स्पर्श से वह सोने का हो गया

जौ लहि घरी कलंक न परा | काँच होई नहिं कंचन करा |  
यह पंक्ति मलिक महम्मद जायसी दवारा रचित महाकाव्य पद्मावत के अंश है जिसमें कवि कहते है कि जब तक घरिया ( सोना गलाने वाला पात्र ) में कच्चा सोना गलाया नहीं जाता तब तक वह कच्ची धातु चमकदार सोना नहीं होता ।

एक नैन जस दरपन औ तेहि निरमल भाउ 
सब रूपवंत गहि मुख जोवहिं कइ चाउ 
यह पंक्ति मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत के अंश है । जिसमें कवि अपने सम्बन्ध में गर्व से लिखते हुए कहते हैं कि वे एक आँख के रहते हुए भी दर्पण के समान निर्मल और उज्जवल भाव वाले हैं । सभी रूपवान व्यक्ति उनका पैर पकड़कर अधिक उत्साह से उनके मुख की ओर देखा करते हैं यानी उन्हें नमन करते है ।

कड़बक-2 भावार्थ

मुहमद यहि जोरि सुनावा | सुना जो प्रेम पीर गा पावा |
जोरी लाइ रकत कै लेई | गाढ़ी प्रीति नैन जल भेई |

यह पंक्ति मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पद्द्मावत के अंश है जिसमे कवि कहते है कि मैंने इस कथा को जोड़कर सुनाया है और जिसने भी इसे सुना उसे प्रेम की पीड़ा का अनुभव हुआ| इस कविता को मैंने रक्त की लाइन लगाकर जोड़ा है और गाढ़ी प्रीति को आंसुओं से भिगो-भिगोकर गीली किया है|

औ मन जानि कबित अस कीन्हा | मकु यह रहै जगत महँ चीन्हा|
कहाँ सो रतनसेनी अस राजा | कहाँ सुवा असि बुधि उपराजा |
कहाँ अलाउद्दीन सुलतानु | कहँ राघौ जेईं कीन्ह बखानू |
कहँ सुरूप पदुमावती रानी | कोइ न रहा जग रही कहानी |

यह पंक्ति मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पद्द्मावत के अंश है जिसमे कवि कहते है कि मैंने यह विचार करके निर्माण किया कि यह शायद मेरे मरने के बाद संसार में मेरी यादगार के रूप में रहे| वह राजा रत्नसेन अब कहां? कहां है वह सुआ जिसने राजा रत्नसेन के मन में ऐसी बुद्धि उत्पन्न की? कहां है सुल्तान अलाउद्दीन और कहां है वह राघव चेतन जिसने अलाउद्दीन के सामने पद्मावती का रूप वर्णन किया| कहां है वह लावण्यवती ललना रानी पद्मावती| कोई भी इस संसार में नहीं रहा केवल उनकी कहानियां बाकी बची है|

धनि सो पुरुख जस कीरति जासू | फूल मरै पै मरै न बासू |
यह पंक्ति मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पद्द्मावत के अंश है जिसमे कवि कहते है कि  वह पुरुष वह पुरुष धन्य है जिसकी कीर्ति और प्रतिष्ठा इस संसार में है उसी तरह रह जाती है जिस प्रकार उसके मुरझा जाने पर भी उसका सुगंध रह जाता है |
केइं न जगत जस बेंचा केइं न लीन्ह जस मोल |
जो यह पढे कहानी हम संवरे दुइ बोल ||

यह पंक्ति मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पद्द्मावत के अंश है जिसमे कवि कहते है कि  इस संसार में यश ना तो किसी ने बेचा है और ना ही किसी ने खरीदा है| कवि कहते हैं कि जो मेरे कलेजे के खून से रचित कहानी को पढ़ेगा वह हमें दो शब्दों में याद रखेगा|


1.     कवि ने अपनी एक आंख की तुलना दर्पण से क्यों की है?
उत्तर- कवि ने अपनी एक आंख की तुलना दर्पण से इसीलिए की है क्योंकि दर्पण स्वच्छ व निर्मल होता है, उनमें मनुष्य की वैसा ही प्रतिछाया दिखती है जैसा वह वास्तव में होता है| कवि खुद को दर्पण के समान स्वच्छ व निर्मल मानता है| उनके हृदय में जरा सा भी दिखावा नहीं है| उनके इन निर्मल भाव के कारण ही बड़े-बड़े रूपवान लोग उनके चरण पकड़ कर लालसा के साथ उनके मुंह की ओर निहारते हैं|

2.     जायसी अपने कड़बक में कलंक कांच और कंचन के माध्यम से क्या कहना चाहते हैं? जायसी ने कलंक, कांच और कंचन के माध्यम से निम्न अर्थ व्यक्त किया है:
उत्तर- काले धब्बे के कारण चंद्रमा कलंकित भले ही हो किंतु वह अपने प्रकाश में उस धब्बे को छिपा लेता है उसी प्रकार गुनीजनों की कीर्ति के प्रकाश में उनके एकाध दोष छिप  जाते हैं|
शिव के त्रिशूल द्वारा प्रहार किए जाने पर सुमेरु पर्वत कंचन का हो गया उसी प्रकार सज्जनों की संगीत से दुर्जन भी श्रेष्ठ मानव बन जाता है|
घरिया में डालकर कांच जब तपाया जाता है तभी उसमें छिपा सोना निकलता है ठीक इसी प्रकार इस संसार में मानव संघर्ष, कष्ट, तपस्या, त्याग से ही श्रेष्ठता  प्राप्त कर पाता है अर्थात कुछ पाने के लिए पहले घरिया में तपना पड़ता है, गला पड़ता है|

3.     भाव स्पष्ट करें:-
जौं लहि घरी कलंक न परा| काँच होइ नहिं कंचन करा|
उत्तर- यह पंक्ति मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पद्द्मावत के अंश है जिसमे कवि कहते है कि  जब तक घरिया (सोना गलाने वाला पात्र) में कच्चा सोना गलाया नहीं जाता तब तक वह कच्ची धातु चमकदार सोना नहीं होता|

4.     रकत कै लेई का क्या अर्थ है?
उत्तर- कविवर जायसी कहते है कि मैंने इस कथा को जोड़कर सुनाया है और जिसने भी इसे सुना उसे प्रेम की पीड़ा का अनुभव हुआ| इस कविता को मैंने रक्त की लाइन लगाकर जोड़ा है और गाढ़ी प्रीति को आंसुओं से भिगो-भिगोकर गीली किया है|

5.     मुहमद यहि जोरि सुनावा| यहाँ कवि ने जोरि शब्द का पयोग किस अर्थ में क्या है?
उत्तर- ‘मुहमद यहि जोरि सुनावा’ में जोरि शब्द का प्रयोग कवि ने ‘रचकर’  अर्थ में किया है अर्थात मैंने यह काव्य रचकर सुनाया है|

6.     व्याख्य करें-
धनि सो पुरुख जस कीरति जासू | फूल मरै पै मरै न बासू |
उत्तर- यह पंक्ति मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पद्द्मावत के अंश है जिसमे कवि कहते है कि  वह पुरुष वह पुरुष धन्य है जिसकी कीर्ति और प्रतिष्ठा इस संसार में है उसी तरह रह जाती है जिस प्रकार उसके मुरझा जाने पर भी उसका सुगंध रह जाता है |

Objective Questions

1.      मलिक मुहम्मद जायसी किस शाखा के कवि हैं?
 a)कृष्णमार्गी
b) राममार्गी 
c) ज्ञानमार्गी
d) प्रेममार्गी 

2.      जायसी ने अपनी एक आँख की तुलना किससे की है  
a) चन्द्रमा 
b) दर्पण 
c) समुद्र
d) इनमें से कोई नहीं

3.      कड़बक में कौन-सी बात पायी जाती है
a) प्रेम की महिमा 
b) ईश्वर की महिमा 
c) मनुष्य की महिमा 
d) दानव की महिमा

4.      जायसी की रचना भाषा है 
a) मैथिली
b) ब्रजभाषा
c) अवधी
d) खड़ी बोली

5.      प्रेम की पीर के कवि हैं 
a) जायसी 
b) नाभादास 
c) जयशंकर
d) सुभद्रा कुमारी   

6.      जायसी का जन्म कहाँ हुआ था  
a)जायस
b)बनारस
c) लमह
d)बेनीपुर

7.      तसव्वुफ का क्या अर्थ है
a)सूफी मत
b)साधु मत
c)आधुनिक मत
d)इनमें से कोई नहीं

8.      पद्मावत के रचनाकार कौन है
a)सूरदास
b)कबीरदास
c)नाभादास
d)जायसी

9.      कड़बक के  रचनाकार कौन है
a)सूरदास
b)कबीरदास
c)नाभादास 
d)जायसी   

10.  मालिक मोहम्मद जायसी का जन्म कब हुआ
a)1460
b)1480
c)1488
d)1492

11.  मालिक मोहम्मद जायसी का निधन कब हुआ
a)1548
b)1540
c)1538
d)1530

12.  आखिरी कलाम के रचनाकार कौन ह
a)रहीम
b)कबीर
c)जायसी
d)इनसे से कोई नहीं

13.  कवि मलिक मुहम्मद जायसी के पिता का क्या नाम था?
(a)मलिक शेख ममरेज ( मलिकराजेअशरफ )
(b)मलिकममरेजशेख
(c)मलिकममरेज
(d)राजेमलिकममरेज

14.  मुहम्मद जायसी की वृत्ति क्या थी?
a)रम्भ में जायस में रहते हुए किसानी        
b) बाद में शेष जीवन फकीरी में
c)बचपन में ही अनाथ साधु – फकीरों के साथ भटकते हुए जीवन बीता
d)इनमें  सभी

15.  मलिक मुहम्मद जायसी के गुरु का क्या नाम था?
(a)सूफी संत अशरफ औरसैयद जहाँगीर अशरफ
(b)सूफी संत शेख मोहिदी
(c)शेख और जहाँगीर सैयद
(d)सूफी संत शेख मोहिदी और सैयद अशरफ जहाँगीर

16.  कड़बक किस किताब से लिया गया है
(a)आखिरी कलाम
(b)अखरावट
(c)पद्मावत
(d)मधुमालती

 

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