गौरा
महादेवी वर्मा
महादेवी वर्मा
‘गौरा’ शीर्षक रेखाचित्र की रचयिता महादेवी
वर्मा है| महादेवी वर्मा कवयित्री है| ‘गौरा’ एक मार्मिक रचना रेखाचित्र है |
इसमें गाय के सौंदर्य और गुण का सजीव वर्णन किया गया है|
‘गौरा’ एक गाय का नाम है
जो महादेवी वर्मा की बहन के घर से मिली थी| गौरा के शारीरक बनावट का वर्णन
कवयित्री ने जिस ढंग से किया है लगता है की मनो इटैलियन मार्बल से तराशा गया हो|
कुछ ही दिनों में गौरा सब से हिलमिल गई | अन्य पशु-पक्षी अपनी लघुता और उसकी
विशालता का अंतर भूल गए |कुत्ते-बिल्ली उसके पेट के निचे और पैरों के बिच में
खेलने लगे | महादेवी वर्मा कहती है की गौरा सबको आवाज़ से नहीं, पैर की आहत से सबको
पहचानने लगी |
एक साल बाद गौरा माँ बन जाती है |और एक बछड़े को जन्म देती है जिसका नाम रखा जाता है लालमणि लेकिन लोग प्यार से लालू कहते|
अंत में एक दुखद घटना घटती है | दूध दुहने के लिए पूर्व में दूध देने वाले ग्वाले को नियुक्ति किया गया | दो दिन महीने बाद गौरा खाना पीना काम कर दिया | पशु चिकित्सक आए | पता चला की गाय को सुई खिला दी गई है | ग्वाले ने गुड़ में सुई लपेटकर गौर को खिला दिया था | कुछ दिन बाद गौर की मृत्यु हो जाती है|
एक साल बाद गौरा माँ बन जाती है |और एक बछड़े को जन्म देती है जिसका नाम रखा जाता है लालमणि लेकिन लोग प्यार से लालू कहते|
अंत में एक दुखद घटना घटती है | दूध दुहने के लिए पूर्व में दूध देने वाले ग्वाले को नियुक्ति किया गया | दो दिन महीने बाद गौरा खाना पीना काम कर दिया | पशु चिकित्सक आए | पता चला की गाय को सुई खिला दी गई है | ग्वाले ने गुड़ में सुई लपेटकर गौर को खिला दिया था | कुछ दिन बाद गौर की मृत्यु हो जाती है|