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गौरा सारांश // Gaura summary // BSEB 50 Marks Hindi


गौरा
                     महादेवी वर्मा
 ‘गौरा’ शीर्षक रेखाचित्र की रचयिता महादेवी वर्मा है| महादेवी वर्मा कवयित्री है| ‘गौरा’ एक मार्मिक रचना रेखाचित्र है | इसमें गाय के सौंदर्य और गुण का सजीव वर्णन किया गया है|


‘गौरा’ एक गाय का नाम है जो महादेवी वर्मा की बहन के घर से मिली थी| गौरा के शारीरक बनावट का वर्णन कवयित्री ने जिस ढंग से किया है लगता है की मनो इटैलियन मार्बल से तराशा गया हो| कुछ ही दिनों में गौरा सब से हिलमिल गई | अन्य पशु-पक्षी अपनी लघुता और उसकी विशालता का अंतर भूल गए |कुत्ते-बिल्ली उसके पेट के निचे और पैरों के बिच में खेलने लगे | महादेवी वर्मा कहती है की गौरा सबको आवाज़ से नहीं, पैर की आहत से सबको पहचानने लगी |
एक साल बाद गौरा माँ बन जाती है |और एक बछड़े को जन्म देती है जिसका नाम रखा जाता है लालमणि लेकिन लोग प्यार से लालू कहते|
अंत में एक दुखद घटना घटती है | दूध दुहने के लिए पूर्व में दूध देने वाले ग्वाले को नियुक्ति किया गया | दो दिन महीने बाद गौरा खाना पीना काम कर दिया | पशु चिकित्सक आए | पता चला की गाय को सुई खिला दी गई है | ग्वाले ने गुड़ में सुई लपेटकर गौर को खिला दिया था | कुछ दिन बाद गौर की मृत्यु हो जाती है|

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