घुटनों से रेंगते - रेंगते,
कब पैरों पर खड़ा हुआ|
तेरी ममता की छाँव में,
माँ जाने कब बड़ा हुआ|
काला टिका दूध मलाई,
आज भी सब कुछ वैसा है|
मैं ही मैं हूँ हर जगह ,
प्यार ये तेरा कैसा है?
सीधा-साधा, भोला भला,
मैं ही सबसे अच्छा हूँ|
कितना भी हो जाऊँ बड़ा,
माँ ! मैं आज भी तेरा बच्चा हूँ|
किसी शहर में एक छोटा सा बच्चा रहता था जिसकी उम्र १० साल रही होगी| वह बच्चा हर दिन स्कूल तो जाता था लेकिन जब वह स्कूल से वापस आता बहुत ही उदास हो कर अपने घर में बैठ जाता |एक दिन स्कूल खत्म होने के बाद घर न जाकर कब्रस्तान जाता है | बच्चे ने कब्रस्तान जाकर अपना बस्ता माँ की कब्र पर फेंक देता है |और भरे हुए गले, आँखों में आँसू और शिकायती सुर में कहा | "माँ अगर तेरी नींद पूरी हो गई है तो उठो और स्कूल चलकर जवाब दो मेरी टीचर को | रोजाना वो मुझसे कहती है की तेरी माँ बहुत लापरवाह है ,जो न तुझे अच्छी तरह तैयार करके भेजती है और न अच्छी तरह होमवर्क कर के..."
दोस्तों
जिंदगी में माँ का न होना उसी तरह है, जिस तरह कडकती धुप में पेड़ का न होना....
इसलिए अपने माँ से प्यार करो उसको दुःख मत दो | लेकीन दोस्तों आज का दौर बदल चूका है कोई भी माँ के अहमियत को नहीं समझता| दोस्तों जरा याद करो, जब आप कुछ भी नहीं थे| आपको बोलना नहीं आता था| आपको समझना नही आता था| तो आपको आपकी प्यारी माँ ने बोलना सिखाया, आपको चलना सिखाया, आपको हर एक शब्दों का मतलब सिखाया| आपके पिता ने आपको चलना, उठाना, बैठना सिखाया सब कुछ सिखाया, खिलाया, पिलाया और इतना बड़ा कर दिया |और आज आप जवान हो गए हो तो आपको माँ बाप की जरुरत नहीं लगती | आज आप कोई भी फैसला कर लेते हो तो उसमे माँ बाप की जरुरत नहीं होती है| यहाँ तक की आपको लगता है के आपके माँ बाप आपसे राजी नही है| आपके बात से राजी नही है | आपके फैसले पे राजी नही है |तो आप उनपे जवानी का जोश दिखाते हो | उन बूढ़े माँ बाप पर गुस्सा दिखाते हो जिन्हों ने अपनी सारी जिंदगी आपके नाम कर दी सारी जवानी आपको जवान करने में ख़राब कर दी और आज आप उनके साथ किया कर रहे हो ? प्लीज ऐसा मत करो|
खुदा मुझसे माँ की मोहब्बत न छीने
अगर छिनना हैं जहाँ छीन ले वो
जमीं छीन ले आसमा छीन ले वो
मेरे सर की बस एक ये छत न छीने
खुदा मुझसे माँ की मोहब्बत न छीने
अगर माँ न होती जमीं पर न आता
जो आँचल न होता कहा सर छुपाता
मेरा लाल कह कर बोलती है मुझको
खुद भूखी रह कर खिलाती है मुझको
इन होंटो की मेरे हंसी छीन ले वो
के गम दे दे हर एक ख़ुशी छीन ले वो
यही एक बस मुझसे दौलत न छीने
खुदा मुझसे माँ की मोहब्बत न छीने
मुझे पाला पोसा बड़ा कर दिया है
कि पैरों पे अपने खड़ा कर दिया है
कभी जब अँधेरों ने मुझको सताया
तो माँ की दुआ ने ही रस्ता दिखाया
ये दामन मेरा चाहे नम कर दे
जितना वो बस आज मुझ पर करम कर दे
जितना जो मुझ पर किया है इनायत न छीने
खुदा मुझसे माँ की मोहब्बत न छीने
अगर माँ का सर पर नहीं हाँथ होगा
तो फ़िर कौन है जो मेरे साथ होगा
कहाँ मुँह छुपाकर के रोया करूंगा
तो फ़िर किसकी गोदी में सोया करूंगा
मेरे सामने माँ की जाँ छीनकर
के मेरी खुशनुमा दासताँ छीन कर
के मेरा जोश और मेरी हिम्मत न छीने
खुदा मुझसे माँ की मोहब्बत न छीने